Monday 1 April 2019

EMISAT क्या है और इसे लाँच करने के क्या उद्येश्य हैं?


भारत ने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट EMISAT को सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है. EMISAT का फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट है. इसे इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर बनाया है. इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस उपग्रह एमिसैट को पीएसएलवी C-45 लांच व्हीकल की मदद से इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्‍च किया है.
भारत; अंतरिक्ष की दुनिया में रोज नए प्रतिमान स्थापित करता जा रहा है. भारत आज ना केवल अपने उपग्रह अन्तरिक्ष में भेजने में सक्षम हो गया है बल्कि अमेरिका जैसे देश के उपग्रह भी भेज रहा है. इसी क्रम में एक और उपलब्धि 1 अप्रैल 2019 को इसरो और डीआरडीओ ने हासिल की है.
भारत ने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट “EMISAT” को सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है. EMISAT का फुल फॉर्म "इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट" है. इसे इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर बनाया है. इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस उपग्रह एमिसैट को पीएसएलवी C-45 लांच व्हीकल की मदद से इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्‍च किया गया है.
यहाँ पर यह भी बता दें कि पीएसएलवी (Polar Satellite Launch Vehicle) का उपयोग भारत के दो प्रमुख मिशनों में किया जा चुका है जिनमें 2008 में चंद्रयान में और 2013 में मंगल मिशन शामिल है.
उद्येश्य: EMISAT का उद्येश्य पाकिस्तान की सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी तरह की मानवीय या आतंकी गतिविधि पर नज़र रखना है. अर्थात यानी बॉर्डर पर EMISAT उपग्रह रडार और सेंसर पर निगाह रखेगा. इस उपग्रह का इस्तेमाल ना सिर्फ मानवीय बल्कि संचार से जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधि पर नज़र रखने के लिए हो सकेगा. एमिसैट उपग्रह; डीआरडीओ को डिफेंस रिसर्च में मदद करने के साथ साथ विद्युत चुंबकीय माप भी लेगा.
एमिसैट के साथ पीएसएलवी रॉकेट अन्य देशों के 28 उपग्रहों को ले गया है इसमें 24 अमेरिका, दो लिथुआनिया के व स्पेन व स्विट्जरलैंड के एक-एक उपग्रह शामिल हैं. एमिसैट के अलावा लॉन्च होने वाले 28 अंतरराष्ट्रीय ग्राहक उपग्रहों का वजन 220 किलोग्राम होगा.
इसरो के अनुसार, पीएसएलवी रॉकेट 436 किलोग्राम के एमिसैट को 749 किलोमीटर के कक्ष में स्थापित करेगा फिर इसके बाद नीचे उतरते हुए 28 अन्य उपग्रहों को 504 km की कक्षा में स्थापित करेगा.
इस लांच की खास बात यह है कि इस लाँच के गवाह आम लोग भी बने और करीब 1000 लोगों ने इस दृश्य को लाइव देखा. अब भारत सरकार की मदद से एक स्टेडियम का निर्माण भी किया जायेगा जिसमें बैठकर लोग लांच किये जाने वाले उपग्रहों को लाइव देख सकेंगे.
ज्ञातव्य है कि दुनिया में अभी तक अमेरिकी एजेंसी NASA ही आम लोगों को लाइव प्रक्षेपण लाँच को देखने देती है.
PSLV के बारे में कुछ जानकारी
इसरो किस तरह के रॉकेट का उपयोग करेगा यह उपग्रह के वजन के आधार पर तय किया जाता है. ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन (पीएसएलवी), विश्व के सर्वाधिक विश्वसनीय लांच व्हीकल्स में से एक है. इसने पहली उडान सितंबर 20, 1993 को भरी थी. पीएसएलवी एक चार-चरण इंजन वाला रॉकेट है, जिसमें बारी बारी से ठोस और तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है.
भारत ने इसकी मदद से चंद्रयान-1, मंगल मिशन, भारतीय क्षेत्रीय दिशानिर्देशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) आदि जैसे अनेक ऐतिहासिक मिशनों के लिए उपग्रहों को लांच किया है.
पीएसएलवी कई संगठनों की पहली पसंद है तथा इसने 19 देशों के 40 से अधिक उपग्रहों को प्रमोचित किया है. सन् 2008 में इसने एक प्रमोचन में सर्वाधिक, 10 उपग्रहों को विभिन्न निम्न पृथ्वी कक्षा में स्थापित करने का रिकार्ड बनाया था.
उम्मीद है कि आने वाले सालों में इसरो ऐसे ही कई उपग्रहों को लांच करके भारत का नाम दुनिया में रोशन करता रहेगा.
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