Thursday 20 December 2018

ग्रहों की गति से सम्बन्धित केप्लर के नियम Kepler's laws of Flanetary Motion


(1) प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों और दीर्घवृत्ताकार (olliptical) कक्षा (orbit) में परिक्रमा करता है तथा सूर्य ग्रह की कक्षा के एक फोकस बिन्दु पर स्थित होता है। 

(ii) प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग (areal Velocity) नियत रहता है। इसका प्रभाव यह होता है कि जब ग्रह सूर्य के निकट होता है तो उसका वेग बढ़ जाता है और जब वह दूर होता है तो उसका वेग कम हो जाता है। 

(iii) सूर्य के चारों ओर ग्रह एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उसे उसका परिक्रमण काल (T) कहते हैं। परिक्रमण काल का वर्ग (T2) ग्रह की सूर्य से औसत दूरी (r) के घन (r*) के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात् T2 o r* इसका प्रभाव यह होता है कि सूर्य से अधिक दूर के ग्रहों के परिक्रमण काल भी अधिक होते हैं।

गुरुत्वीय त्वरण व भार ( Gravitational Acceleration and Weight ) 

जब पृथ्वी किसी वस्तु पर अपना गुरुत्वीय बल लगाती है तो वस्तु में भी त्वरण उत्पन्न हो जाता है जिसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं और g से प्रकट करते हैं। पृथ्वी पर स्वतंत्र रूप से गिरने वाली प्रत्येक वस्तु का त्वरण g होता है, चाहे वस्तु द्रव्यमान कुछ भी हो। इसका मान 9.8 मीटर प्रति सेकण्ड* होता है।

\यदि हम पृथ्वी से ऊपर किसी पर्वत पर जाएं तो g कम हो जाएगा। यदि हम चन्द्रमा पर पहुंचें तो वहां g 1/6 रह जाएगा। अत: चन्द्रमा पर वस्तु का भार भी पृथ्वी की तुलना में 1/6 रह जाता है। यदि हम किसी गहरी खान में पृथ्वी के नीचें जाएं तो भी g का मान कम हो जाएगा। पृथ्वी के केन्द्र पर तो g का मान शून्य हो जाता है, अत: वस्तु का भार भी शून्य हो जाता है।

g के मान में परिवर्तन- 'g' का मान पृथ्वी के ध्रवों पर महत्तम एवं विषुवत रेखा पर न्यूनतम होता है।

'g' का मान पृथ्वी के घूर्णन गति बढ़ने पर कम होता है एवं घूर्णन गति घटने पर बढ़ जाता है। > पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान घटता है। > किसी लिफ्ट में पिण्ड का भार— (1) जब लिफ्ट उपर की तरफ जा रही है तो उसमे व्यक्ति को अपना भार बढ़ा हुआ महसूस होता है। यदि व्यक्ति का द्रव्यमान m हो तथा लिफ्ट का ऊपर की ओर त्वरण a हो तो इस दिशा में व्यक्ति का भार w = mg + ma

जब लिफ्ट नीचे की ओर आ रही हो, तो व्यक्ति को अपना भार घटा हुआ महसूस होता है। यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट का त्वरण a हो तो व्यक्ति का भार w= mg — ma

यदि लिफ्ट का तार टूट जाए तो वह एक मुक्त पिण्ड की भांति गुरुत्वीय त्वरण से नीचे गिरती है। इस दिशा में उसमें स्थित व्यक्ति को अपना भार शून्य प्रतीत होगा। यह भरहीनता की अवस्था है। यदि नीचे गिरते समय लिफ्ट का त्वरण, गुरुत्वीय त्वरण से अधिक हो, तो व्यक्ति लिफ्ट की सतह से उठकर उसकी छत पर जा लगेगा। जब लिफ्ट एक समान वेग से ऊपर या नीचे चलती है तो व्यक्ति के अपने भार में कोई परिवर्तन प्रतीत नहीं होता।

उपग्रह ( Satellite)- किसी ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करने वाले पिण्ड को उस ग्रह का उपग्रह कहते हैं। उदाहरण के लिए, चन्द्रमा पृथ्वी का एक प्रकृतिक उपग्रह है। 

उपग्रह की कक्षीय चाल (Orbital speed of a satellite)- उपग्रह की कक्षीय चाल v,उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई h पर निर्भर करती है। उपग्रह पृथ्वी तल से जितना अधिक दूर होगा, उतनी ही उसकी चाल कम होगी। उपग्रह की कक्षीय पृथ्वी तल से जितना अधिक दूर होगा, उतनी ही उसकी चाल कम होगी। उपग्रह की कक्षीय चाल v,उसके द्रव्यमान (m) पर निर्भर नहीं करती हैं। एक ही त्रिज्या की कक्षा में भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के उपग्रहों की चाल समान होगी। पृथ्वी के सर्वाधिक निकट परिक्रमा करने वाले उपग्रह की कक्षीय चाल 8 किमी/सेकण्ड है।

पलायन वेग (Escape velocity )– पलायन वेग वहा न्यूनतम वेग है जिससे किसी पिण्ड को पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर फेके जाने पर वह गुरुत्वीय क्षेत्र को पार कर जाता है, पृथ्वी पर वापस नहीं आता। पृथ्वी के लिए पलायन वेग का मान 11.2 किमी/सेकंड होता है.

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