Wednesday 15 August 2018

1833 का चार्टर अधिनियम

1833 का चार्टर अधिनियम 

भारत के केंद्रीयकरण की दिशा में यह अधिनियम निर्णायक कदम था इस अधिनियम की विशेषताएं निम्नानुसार थी-
अधिनियम  की विशेषताएं
1. इसने बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया जिसमें सभी नागरिक और सैन्य शक्तियां निहित थी इस प्रकार इस अधिनियम ने पहली बार एक ऐसी सरकार का निर्माण किया जिसका ब्रिटिश कब्जे वाले संपूर्ण भारतीय क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण था लॉर्ड विलियम बेंटिक भारत के प्रथम गवर्नर जनरल थे.

2. इसने मद्रास और मुंबई के गवर्नरो को विधायिका संबंधी शक्ति से वंचित कर दिया भारत के गवर्नर जनरल को पूरे ब्रिटिश भारत में विधायिका के असीमित अधिकार प्रदान कर दिए गए इसके अंतर्गत पहले बनाए गए कानूनों को नियामक कानून कहा गया और नए कानून के तहत बने कानूनों को दिया अधिनियम कहा गया.

3. ईस्ट इंडिया कंपनी की एक व्यापारिक निकाय के रूप में की जाने वाली गतिविधियों को समाप्त कर दिया गया अब यह विशुद्ध रूप से प्रशासनिक निकाय बन गया इसके तहत कंपनी के अधिकार वाले क्षेत्र ब्रिटिश राज शाही और उसके उत्तर अधिकारियों के विश्वास के तहत ही कब्जे में रह गए.

4. चार्टर एक्ट 1833 ने सिविल सेवकों के चयन के लिए खुली प्रतियोगिता का आयोजन शुरू करने का प्रयास किया इसमें कहा गया कि कंपनी में भारतीयों को किसी पद कार्यालय और रोजगार को हासिल करने से वंचित नहीं किया जाएगा हालांकि कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स के विरोध के कारण इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया.

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