Tuesday 14 August 2018

1853 का चार्टर अधिनियम

1793 से 1853 के दौरान ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किए गए चार्टर अधिनियमो कि श्रंखला में यह अंतिम अधिनियम था संवैधानिक विकास की दृष्टि से यह अधिनियम एक महत्वपूर्ण अधिनियम था.

अधिनियम की विशेषताएं निम्नानुसार थी- 

1. इसमें पहली बार गवर्नर जनरल की परिषद के विधायी एवं प्रशासनिक कार्यों को अलग कर दिया इसके तहत परिषद में 6 नए पार्षद को जोड़े गए इन्हें विधान पार्षद कहा गया दूसरे शब्दों में इसमें गवर्नर जनरल के लिए नई विधान परिषद का गठन किया जिसे भारतीय विधान परिषद का गया परिषद की इस शाखा ने छोटी संसद की तरह कार्य किया इसमें वही प्रक्रिया अपनाई गई जो ब्रिटिश संसद में अपनाई जाती थी इस प्रकार विधायिका को पहली बार सरकार के विशेष कार्य के रूप में जाना गया जिसके लिए विशेष मशीनरी और प्रक्रिया की जरूरत थी.

2. इसने सिविल सेवकों की भर्ती एवं चयन हेतु खुली प्रतियोगिता व्यवस्था का शुभारंभ किया इस प्रकार विशिष्ट सिविल सेवा भारतीय नागरिकों के लिए भी खोल दी गई और इसके लिए 1854 में मकान समिति की नियुक्ति की गई

3. इसने कंपनी के शासन को विस्तारित कर दिया और भारतीय क्षेत्र को इंग्लैंड राजशाही के विश्वास के तहत कब्जे में रखने का अधिकार दिया लेकिन पूर्व नियमों के विपरीत इसमें किसी निश्चित समय का निर्धारण नहीं किया गया था इससे स्पष्ट था कि संसद द्वारा कंपनी का शासन किसी भी समय समाप्त किया जा सकता था.

4. इस ने प्रथम बार भारतीय केंद्रीय विधान परिषद में स्थानीय प्रतिनिधित्व प्रारंभ किया गवर्नर जनरल की परिषद में 6 नए सदस्यों में से 4 का चुनाव बंगाल, मद्रास, मुंबई और आगरा की स्थानीय प्रांतीय सरकारों द्वारा किया जाना था.

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