Thursday 5 July 2018

विजयनगर साम्राज्य के स्रोतों की सूची


विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर एवं बुक्का नमक दो भाइयों ने की थी। विजयनगर का शाब्दिक अर्थ है- जीत का शहर। इस साम्राज्य पर क्रमशः निम्न वंशों ने शासन किया- संगम, सलुव , तुलुब एवं अरविडू वंश। विजयनगर साम्राज्य की इतिहास के विषय में जानकारी मुख्यतः तीन स्रोतों से प्राप्त होती है- विदेशियों का विवरण, स्वदेशी साहित्यिक कार्य तथा पुरातत्व-संबंधी साक्ष्य।

विजयनगर साम्राज्य की इतिहास के विषय में जानकारी देने वाले स्रोत

विदेशी यात्री से मिलने वाली प्रमुख जानकारी

1. रेह्लातर तुह्फत-उन-नुज्ज़त (इब्न बतूता): हरिहर प्रथम के अधीन विजयनगर साम्राज्य का विवरण।
2. मतला उस सादेंन वा मजमा उल बहरीन (अब्दुर रज्ज़ाक): देवाराय द्वितीय के अधीन विजयनगर साम्राज्य का विवरण।
3. हिंद महासागर और उनके निवासियों की सीमाओं का विवरण (डुआर्टे बार्बोसा): कृष्णदेव राय के अधीन विजयनगर साम्राज्य के शासन का जीवंत लेख ।
4. डोमिंगो पेस ने कृष्णादेव राय के अधीन विजयनगर साम्राज्य के प्राचीन शहर हम्पी के शासन के सभी ऐतिहासिक विवरणों के सबसे विस्तृत विवरण दिया है।
5. फ़नानाओ नुनीज ने विजयनगर साम्राज्य के सांस्कृतिक पहलुओं का उल्लेख किया है, महिलाओं के पहनावे के साथ-साथ राजा की सेवा में महिलाओं को कैसे नियुक्त किया जाता था और शहर की नींव पर विस्तृत विवरण दिया है।

स्वदेशी साहित्यिक कार्य

1. शासक, समाज और जाति व्यवस्था पर राजनीति और राजनीतिक विचार पर आधारित तीन साहित्यिक कार्य:
() अल्लासानी पेडन द्वारा रचित मानचिरितम
(ख) गंगाधर द्वारा रचित गंगदास प्रताप विलासम
(ग) कृष्णदेव राय द्वारा रचित अमुक्तार्मल्यादा
2. राजनाथा डिंडिमा द्वारा रचित सलु वभ्युदयम: देव राय द्वितीय और ओडिशा के गजपति के समकालीन नाटक, इस नाटक के माध्यम से ये बताया गया है की कैसे ब्राह्मणों ने देव राय द्वितीय की मृत्यु के बाद विजयनगर शहर की घेराबंदी की थी।
3. तेनालीराम रामकृष्ण ने पांडुरंग माहात्यम की रचना की थी।

शिलालेख (अभिलेख) से मिलनेवाली जानकारी

1. बगापेल्लिसी का तांबे से बना शिलालेख: हरिहर प्रथम की उपलब्धियों  के बारे में बताता है।
2. बितरागुंता ग्रांट ऑफ़ संगमा II: पांच संगमा बंधुओ के वंशावली की व्याख्या करता है।
3. हरिहर द्वितीय के चन्ना राया पटेका शिलालेख में बुक्का I सफल अभियानों के बारे में बताता है।
4. देवराय द्वितीय के श्रीरंगम का तांबे से बना शिलालेख बुक्का I की उपलब्धियों का वर्णन करता है।
5. इम्मादी नरसिम्हा के देवुलापल्ली का तांबा से बना शिलालेख जिसमे सलुवा राजवंश के वंशावली का वर्णन है।
दक्षिण भारत की कृष्णा नदी की सहायक तुंगभद्रा को इस बात का गर्व है कि विजयनगर उसकी गोद में पला। उसी के किनारे प्रधान नगरी हंपी स्थित रही। दक्षिण का पठार दुर्गम है इसलिए उत्तर के महान सम्राट् भी दक्षिण में विजय करने का संकल्प अधिकतर पूरा न कर सके। राजधानी विजयनगर के अवशेष आधुनिक कर्नाटक राज्य में हम्पी शहर के निकट पाये गये हैं और यह एक विश्व विरासत स्थल है। पुरातात्त्विक खोज से इस साम्राज्य की शक्ति तथा धन-सम्पदा का पता चलता है। विजयनगर साम्राज्य का इतिहास श्री आर. सिवेल के अथक प्रयासों से संज्ञान में आया था जो ब्रिटिश कालीन भारत में मद्रास रिकॉर्ड कार्यालय में कीपर की रूप में कार्यरत थे जिनका कार्य प्राचीन शिलालेखों और  दस्तावेजो का संभालकर रखने और उनकी सुरक्षा प्रदान करना था।

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