Sunday 21 April 2019

1773 का रेगुलेटिंग एक्ट (Regulating Act 1773)

1773 का रेगुलेटिंग एक्ट


इस अधिनियम का अत्यधिक संवैधानिक महत्त्व है.
1. भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यो को नियमित और नियंत्रित करने की दिशा में ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाया गया यह पहला कदम था.
2. इसके द्वारा पहली बार कंपनी के प्रशाशनिक और राजनैतिक कार्यो को मान्यता मिली.
3. इसके द्वारा भारत में केन्द्रीय प्रशासन की नींव रखी गयी.

अधिनियम की विशेषताए

1. इस अधिनियम द्वारा बंगाल को गवर्नर को 'बंगाल का गवर्नर जनरल' पद नाम दिया गया एवं उसकी सहायता के लिए एक चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद् का गठन किया गया. उल्लेखनीय है की ऐसे पहले गवर्नर लार्डवारेन हेस्टिंग्स थे.

2. इसके द्वारा मद्रास एवं बम्बई के गवर्नर को  बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन कर दिया गया , जबकि पहले सभी प्रेसिडेंसीयो के गवर्नर एक दुसरे से अलग थे.

3. अधिनियम के अंतरगत कलकत्ता में 1774 में एक उच्चतम न्यालय की स्थापना की गयी, जिसमे मुख्य न्यायधीश और तीन अन्य न्यायधिश थे.

4. इसके तहत कंपनी के कर्मचारियों को निजी व्यापार करने और भारतीय लोगों से उपहार व रिश्वत लेना प्रतिबंधित कर दिया गया.

5. इस अधिनियम के द्वारा, ब्रिटिश सरकार का 'कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स' के माध्यम से कंपनी पर नियंत्रण सशक्त हो गया. इसे भारत में इसके राजस्व नागरिक और सैन्य मामलों की जानकारी ब्रिटिश सरकार को देना आवश्यक कर दिया गया.

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