Tuesday 7 August 2018

भौतिकी विज्ञान

भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत द्रव्य तथा ऊर्जा और उसकी परस्पर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। भौतिकी शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है- प्रकृति। फेयनमान के अनुसार, भौतिकी पदार्थ और ऊर्जा का अध्ययन तथा इन दोनों के व्यवहार को प्रभावित करने वाले नियमों की खोज से संबंधित है। इस विज्ञान का संबंध रासायनिक परिवर्तनों से न होकर वस्तुओं के मध्य विद्यमान बलों एवं पदार्थ व ऊर्जा के अन्तर्सम्बन्धों से है। भौतिकी वह विज्ञानं है जिसमे अजैब सृष्टी ताप, ध्वनि विद्युत आदि पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।

मापन

भौतिक राशियाँ भौतिकी के नियमों को जिन्हें राशियों के पदों में व्यक्त किया जाता है, उन्हें भौतिक राशियां कहते हैं, जैसे- लम्बाई, बल, चाल, वस्तु का द्रव्यमान, घनत्व इत्यादि। भौतिक; राशियां दो प्रकार की होती हैं- अदिश (Scalar) और सदिश (Vector Quantities) ।  

अदिश राशियां जिन भौतिक राशियों के निरूपण के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है, किन्तु दिशा की कोई आवश्यकता नहीं होती, उन्हें अदिश राशि कहा जाता है। द्रव्यमान, विभव इत्यादि अदिश राशि के उदाहरण हैं।
सदिश राशि- जिन भौतिक राशियों के निरूपण के लिए परिमाण के साथ-साथ दिशा की भी आवश्यकता होती है, उन्हें सदिश राशि कहा जाता है। बल, वेग, भार, त्वरण, विस्थापन इत्यादि सदिश राशि के उदाहरण हैं।
भौतिकी के नियमों को समय, घनत्व, बल, ताप तथा अन्य भौतिक राशियों द्वारा व्यक्त किया जाता है।

माप की इकाइयाँ (Units of Measure)  भौतिक विज्ञान में लम्बाई, द्रव्यमान एवं समय के लिए तीन मूलभूत इकाइयाँ प्रयुक्त होती हैं। अन्य इकाइयाँ इन्हीं तीनों मौलिक इकाइयों से बनी हैं। माप की इकाइयाँ दो प्रकार की होती है. मूल इकाई  और व्युत्पल इकाई.

(i) मूल मात्रक/इकाई (Fundamental Units )- किसी भौतिक राशि को व्यक्त करने के लिए कुछ ऐसे मानकों का प्रयोग किया जाता है, जो अन्य मानकों से स्वतंत्र होते हैं, इन्हें मूल मात्रक कहते हैं, जैसे- लम्बाई, समय और द्रव्यमान के मात्रक क्रमश: मीटर, सेकेण्ड एवं किलोग्राम मूल इकाई हैं।

(ii) व्युत्पन्न मात्रक/इकाई (Derived Units)- किसी भौतिक राशि को जब दो या दो से अधिक मूल इकाइयों में व्यक्त किया जाता है, तो उसे व्युत्पन्न इकाई कहते हैं, जैसे-बल, दाब, कार्य एवं विभव के लिए क्रमश: न्यूटन, पास्कल, जूल एवं वोल्ट व्युत्पन्न मात्रक हैं।

मात्रक पद्धतियाँ ( System of Units ) भौतिक राशियों के मापन के लिए निम्नलिखित चार पद्धतियां प्रचलित हैं— (i) CGS पद्धति ( Centimetre Gram Second System )- इस पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक क्रमश: सेंटीमीटर, ग्राम और सेकण्ड होते हैं। इसलिए इसे Centimeter Gram Second या CGS पद्धति कहते हैं। इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं। 
(ii) FPS पद्धति ( Foot Pound Second System )- इस पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक क्रमश: फुट पाउण्ड और सेकण्ड होते है. इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहते है.

(iii) MKS पद्धति (Metre Kil0gram Second System )- इस पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमश: मीटर, किलोग्राम और सेकण्ड होते हैं। 
(iv)अंतर्राष्ट्रीय मात्रक पद्धति (System International - S.I. Units )- सन् 1960 ई. में अन्तर्राष्ट्रीय माप-तौल के अधिवेशन में SI को स्वीकार किया गया, जिसका पूरा नाम Le Systeme International d"Unites है। वास्तव में, यह पद्धति MKS पद्धति का ही संशोधित एवं परिवद्धित (improved and extended) रूप है। आजकल इसी पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इस पद्धति में सात मूल मात्रक तथा दो सम्पूरक मात्रक (supplementary units) हैं।

SI के सात मूल ( Seven Fundamental Units ) निम्नलिखित हैं: 
(i) लम्बाई (Length) का मूल मात्रक मीटर (Meter)- SI में लम्बाई का मूल मात्रक मीटर (Metre) है। 1 मीटर वह दूरी है, जिसे प्रकाश निर्वात् में 1/299792458 सेकण्ड में तय करता है। 
(ii) द्रव्यमान (Mass) का मूल मात्रक किलोग्राम ( Kilogram)- फ्रांस के सेवरिस नामक स्थान पर माप-तौल के अंतर्राष्ट्रीय (International Bureau of Weight and Measurement- IBWM) में सुरक्षित रखे प्लेटिनम-इरीडियम मिश्रधातु के बने हुए बेलन के द्रव्यमान को मानक किलोग्राम कहते हैं। इसे संकेत में किग्रा. (kg) लिखते हैं। 
(iii) समय का मूल मात्रक सेकेण्ड- सीजियम-133 परमाणु की मूल अवस्था के दो निश्चित ऊर्जा स्तरों के बीच संक्रमण से उत्पन्न विकिरण के 9192631770 आवर्तकालों की अवधि को 1 सेकेण्ड कहते हैं। आइंस्टीन ने अपने प्रसिद्ध सापेक्षता का सिद्धांत (Theory oif Relativity) में समय को चतुर्थ विमा (fourth dimension) के रूप में प्रयुक्त किया है।
(iV) विद्युत्-धारा ( Electric Current) का मूल मात्रक एम्पियर (Ampere)- यदि दो लम्बे और पतले तारों को निर्वात् में 1 मीटर की दूरी पर एक-दूसरे के समानान्तर रखा जाए और उनमें ऐसे परिमाण की समान विद्युत धारा प्रवाहित की जाए जिससे तारों के बीच प्रति मीटर लम्बाई में 2 × 107 न्यूटन का बल लगने लगे तो विद्युत् धारा के उस परिमाण को 1 एम्पियर कहा जाता है। इसका प्रतीक A है। (V) ताप (Temperature) का मूल मात्रक ( Kelvin )- जल के त्रिक बिंदु (triple point) के ऊष्मागतिक ताप के 1/273.16 वें भाग को केल्विन कहते हैं। इसका प्रतीक K होता है। (Vi) ज्योति-तीव्रता (Luminous Intensity ) का मूल मात्रक ( Candela)- किसी निश्चित दिशा में किसी प्रकाश स्रोत की ज्योति—तीव्रता 1 केण्डेला तब कही जाती है, जब यह स्रोत उस दिशा में 540 × 103 हट्र्ज का तथा 1/683 वाट/ स्टेरेडियन तीव्रता का एकवणीय (monochromatic) उत्सर्जित करता है। यदि घन कोण के अन्दर प्रति सेकण्ड 1 जूल प्रकाश ऊर्जा उत्सर्जित हो, तो उसे 1 वाट/स्टेरेडियन कहते हैं।
(Vii) पदार्थ की मात्रा (Amount of Substance) कर मूल मात्रक (Mole)- एक मोल, पदार्थ (परमाणु, अणु, आदि) की संख्या 6.023 ×10* होती है। इस संख्या को ऐवोगाड़ी नियतांक (Avogadro's Constant) कहते हैं। SI के दो सम्पूरक मात्रक (Supplementary Units) हैं (1) रेडियन (ii) स्टेरेडियन (i) रेडियन (Radian )- किसी वृत्त की त्रिज्या के बराबर लम्बाई के चाप द्वारा उसके केन्द्र पर बनाया गया कोण एक रेडियन होता है। इस मात्रक का प्रयोग समतल पर बने कोणों (plane angles) को मापने के लिए किया जाता है। (ii) स्टेरेडियन (steradian )- किसी गोले की सतह पर उसकी त्रिज्या के बराबर भुजा वर्गाकार क्षेत्रफल द्वारा गोले के केन्द्र पर बनाए गए घन कोण को 1 स्टेरेडियन कहते हैं। यह ठोसीय कोणों (solid angles) को मापने का मात्रक है।


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