Thursday 20 December 2018

मात्रक पद्धतियाँ ( System of Units )



भौतिक राशियों के मापन के लिए निम्नलिखित चार पद्धतियां प्रचलित हैं—
(i) CGS पद्धति ( Centimetre Gram Second System )- इस पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक क्रमश: सेंटीमीटर, ग्राम और सेकण्ड होते हैं। इसलिए इसे Centimeter Gram Second या CGS पद्धति कहते हैं। इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं।

(ii) FPS पद्धति ( Foot Pound Second System )- इस पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक क्रमश: फुट पाउण्ड और सेकण्ड होते हैं।इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहते है.

(iii) MKS पद्धति (Metre Kil0gram Second System )- इस पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमश: मीटर, किलोग्राम और सेकण्ड होते हैं।

(iv)अंतर्राष्ट्रीय मात्रक पद्धति (System International - S.I. Units )- सन् 1960 ई. में अन्तर्राष्ट्रीय माप-तौल के अधिवेशन में SI को स्वीकार किया गया, जिसका पूरा नाम Le Systeme International d"Unites है। वास्तव में, यह पद्धति MKS पद्धति का ही संशोधित एवं परिवद्धित (improved and extended) रूप है। आजकल इसी पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इस पद्धति में सात मूल मात्रक तथा दो सम्पूरक मात्रक (supplementary units) हैं।

SI के सात मूल ( Seven Fundamental Units ) निम्नलिखित हैं: 
(i) लम्बाई (Length) का मूल मात्रक मीटर (Meter)- SI में लम्बाई का मूल मात्रक मीटर (Metre) है। 1 मीटर वह दूरी है, जिसे प्रकाश निर्वात् में 1/299792458 सेकण्ड में तय करता है।

(ii) द्रव्यमान (Mass) का मूल मात्रक किलोग्राम ( Kilogram)- फ्रांस के सेवरिस नामक स्थान पर माप-तौल के अंतर्राष्ट्रीय (International Bureau of Weight and Measurement- IBWM) में सुरक्षित रखे प्लेटिनम-इरीडियम मिश्रधातु के बने हुए बेलन के द्रव्यमान को मानक किलोग्राम कहते हैं। इसे संकेत में किग्रा. (kg) लिखते हैं।

(iii) समय का मूल मात्रक सेकेण्ड- सीजियम-133 परमाणु की मूल अवस्था के दो निश्चित ऊर्जा स्तरों के बीच संक्रमण से उत्पन्न विकिरण के 9192631770 आवर्तकालों की अवधि को 1 सेकेण्ड कहते हैं। आइंस्टीन ने अपने प्रसिद्ध सापेक्षता का सिद्धांत (Theory oif Relativity) में समय को चतुर्थ विमा (fourth dimension) के रूप में प्रयुक्त किया है।

(iV) विद्युत्-धारा ( Electric Current) का मूल मात्रक एम्पियर (Ampere)- यदि दो लम्बे और पतले तारों को निर्वात् में 1 मीटर की दूरी पर एक-दूसरे के समानान्तर रखा जाए और उनमें ऐसे परिमाण की समान विद्युत धारा प्रवाहित की जाए जिससे तारों के बीच प्रति मीटर लम्बाई में 2 × 107 न्यूटन का बल लगने लगे तो विद्युत् धारा के उस परिमाण को 1 एम्पियर कहा जाता है। इसका प्रतीक A है।

(V) ताप (Temperature) का मूल मात्रक ( Kelvin )- जल के त्रिक बिंदु (triple point) के ऊष्मागतिक ताप के 1/273.16 वें भाग को केल्विन कहते हैं। इसका प्रतीक K होता है।

(Vi) ज्योति-तीव्रता (Luminous Intensity ) का मूल मात्रक ( Candela)- किसी निश्चित दिशा में किसी प्रकाश स्रोत की ज्योति—तीव्रता 1 केण्डेला तब कही जाती है, जब यह स्रोत उस दिशा में 540 × 103 हट्र्ज का तथा 1/683 वाट/ स्टेरेडियन तीव्रता का एकवणीय (monochromatic) उत्सर्जित करता है। यदि घन कोण के अन्दर प्रति सेकण्ड 1 जूल प्रकाश ऊर्जा उत्सर्जित हो, तो उसे 1 वाट/स्टेरेडियन कहते हैं।

(Vii) पदार्थ की मात्रा (Amount of Substance) कर मूल मात्रक (Mole)- एक मोल, पदार्थ (परमाणु, अणु, आदि) की संख्या 6.023 ×10* होती है। इस संख्या को ऐवोगाड़ी नियतांक (Avogadro's Constant) कहते हैं। SI के दो सम्पूरक मात्रक (Supplementary Units) हैं
(1) रेडियन (2) स्टेरेडियन 

(i) रेडियन (Radian )- किसी वृत्त की त्रिज्या के बराबर लम्बाई के चाप द्वारा उसके केन्द्र पर बनाया गया कोण एक रेडियन होता है। इस मात्रक का प्रयोग समतल पर बने कोणों (plane angles) को मापने के लिए किया जाता है।

(ii) स्टेरेडियन (steradian )- किसी गोले की सतह पर उसकी त्रिज्या के बराबर भुजा वर्गाकार क्षेत्रफल द्वारा गोले के केन्द्र पर बनाए गए घन कोण को 1 स्टेरेडियन कहते हैं। यह ठोसीय कोणों (solid angles) को मापने का मात्रक है।

मूल मात्रक ( Fundamental Units )


अत्यधिक लंबी दूरियों के मापने में प्रयोग किए जानेवाले मात्रक



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