भारत में बजट बनाने की प्रक्रिया बहुत ही गुप्त तरीके से पूरी की जाती है | यहाँ पर बजट बनने के एक महीने पहले से ही वित्त मंत्रालय को मीडिया की पहुँच से दूर कर दिया जाता है ताकि बजट से सम्बंधित कोई भी सूचना बजट के पेश होने से पहले ही देशी या विदेशी उद्योग घरानों, विदेशी निवेशकों, शेयर दलालों के हाथों में ना आ जाये; क्योंकि यदि ऐसा हो गया तो ये लोग देश की अर्थव्यवस्था को नुकशान पहुंचा देंगे|
आइये अब हम बजट बनाते समय अपनायी जाने वाली पूरी सुरक्षा व्यवस्था के बारे में इस लेख में जानने का प्रयास करते हैं |
बजट के बनाने की प्रक्रिया से लेकर बजट पेश करने तक किस तरह की सुरक्षा व्यवस्था रखी जाती है?
हलवा समारोह (Halwa Ceremony)
बजट से संबंधित दस्तावेजों की छपाई की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले नॉर्थ ब्लॉक में एक भव्य 'हलवा समारोह' का आयोजन किया जाता है। इस समारोह में वित्तमंत्री द्वारा बजट से संबंधित सभी मंत्रियों और अधिकारियों के बीच हलवा वितरित किया जाता है। इस समारोह के बाद बजट की तैयारियों से संबंधित सभी सरकारी अधिकारियों को मोबाइल या इंटरनेट के बिना एक अज्ञात कमरे में बंद कर दिया जाता है। ये अधिकारीगण उस कमरे से बाहर तब-तक नहीं आते हैं जब तक कि वित्तमंत्री बजट प्रस्तुति के लिए तैयार नही हो जाते हैं|
बजट बनाने की प्रक्रिया में कितने लोग शामिल होते हैं ?
बजट बनाने की पूरी प्रक्रिया को बेहद ही गुप्त तरीके से अंजाम दिया जाता है | बजट को बनाने में कौन-कौन से लोग शामिल है उनके नामों को भी उजागर नही किया जाता है| बजट तैयार करने के लिए लगभग 100 लोगों की टीम को पूरी तरह से जांच-पड़ताल के बाद वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक में ही एक गुप्त जगह पर रखा जाता है।
किस तरह की सुरक्षा व्यवस्था होती है?
आम बजट तैयार करते समय अधिकारियों/कर्मचारियों को 7 दिन तक सीक्रेट जगह भेज दिया जाता है।इस दौरान बजट बनाने वाले लोगों को मोबाइल रखने और घर पर फोन से बात करने तक की इजाजत नहीं होती है, इंटरनेट कनेक्शन भी हटा दिया जाता है। प्रिंटिंग रूम में सिर्फ एक फोन होता है। इस पर सिर्फ कॉल आने (incoming call facility) की सुविधा होती है काल करने की (outgoing facility) सुविधा नही होती है। लेकिन यदि कोई अधिकारी/कर्मचारी अपने घर (अत्यधिक जरूरी स्थिति में) इत्यादि जगह पर बात करना चाहता है तो उसकी बात को सुनने के लिए इंटेलिजेंस विभाग का एक आदमी वहां हमेशा मौजूद रहता है।
यदि किसी कर्मचारी की तबीयत ख़राब हो जाती है तो उसके इलाज के लिए डॉक्टरों की एक टीम हमेशा वहां मौजूद रहती है| अगर इमरजेंसी में कोई प्रिंटिंग कर्मचारी गुप्त कमरे से बाहर निकलता है तो उसके साथ इंटेलिजेंस विभाग का एक आदमी और दिल्ली पुलिस का एक आदमी हमेशा साथ रहता है। इतना ही नही वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वालों को जो खाना दिया जाता है, उसकी भी जाँच की जाती है ताकि पता लगाया जा सके कि खाने में जहर तो नहीं मिलाया गया है।
बजट को गोपनीय रखने की प्राथमिकता
इंटेलिजेंस ब्यूरो के लोग वित्त मंत्रालय की पूरी तरह से सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। बजट से संबंधित प्रमुख लोगों का फोन भी टेप किया जाता है| वित्त मंत्रालय में आने-जाने वाले लोगों पर सीसीटीवी के जरिए कड़ी निगरानी की जाती है। सभी कर्मचारी सीसीटीवी कैमरे की रेंज में रहते हैं |
बजट को प्रिंट करने का कागज वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस तक पहुंचने तक का काम इंटेलिजेंस विभाग अधिकारियों की देख-रेख में होता है | उसके बाद प्रिंटिंग, पैकेजिंग और इसके संसद पहुंचने तक सुरक्षा व्यवस्था पूरी मुस्तैदी के साथ पूरी की जाती है।
सामान्य तौर पर बजट 11 बजे पेश होता है| बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री भारत के राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने संक्षिप्त बजट पेश करते हैं। इसके बाद बजट को संसद पटल पर रखा जाता है। वित्तमंत्री, बजट के प्रमुख बिंदुओं को पूरी संसद और देश के सामने प्रस्तुत करते हैं, इसे ही बजट का पेश करना कहा जाता है | इसी समय पर गुप्त स्थान पर बंद अधिकारियों को घर जाने की अनुमति दे दी जाती है |
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