Friday 1 March 2019

लुकआउट नोटिस क्या होता है और क्यों जारी किया जाता है?


लुक आउट सर्कुलर (LOC) या लुक आउट नोटिस एक सर्कुलर लेटर है, जिसका इस्तेमाल आव्रजन अधिकारियों द्वारा किसी आरोपी व्यक्ति को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए किया जाता है. इसके अलावा इस लुक आउट नोटिस से भागे हुए अपराधियों का पता लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. कई बार ऐसा होता है कि कोई अपराधी विदेशों में बॉर्डर या एअरपोर्ट पर पकड़ा पकड़ा जाता है. इसका कारण यही होता है कि उस देश के अधिकारियों के पास उस अपराधी के खिलाफ लुक आउट नोटिस होता है.
लुक आउट नोटिस का उपयोग अंतरराष्ट्रीय सीमाओं (जैसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों या समुद्री क्षेत्र, बंदरगाहों) पर आव्रजन जांच में किया जा सकता है. लुक आउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी से अनुरोध मिलने पर आव्रजन अधिकारी आरोपी व्यक्ति को हिरासत में भी ले सकते हैं.
अभी हाल ही में सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक और विडियोकॉन ग्रुप के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया है ताकि ये लोग देश छोड़कर विदेश ना जा सकें.
गृह मंत्रलाय ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने के लिए निम्न 4 दिशानिर्देश जारी किये हैं...
1. किसी भारतीय व्यक्ति के खिलाफ सभी आव्रजन चेकपोस्टों के लिए लुक आउट नोटिस गृह मंत्रालय द्वारा तैयार प्रारूप में ही जारी किया जा सकता है.
2. भारत में लुक आउट नोटिस को जारी करने का अधिकार भारत सरकार में उप सचिव, प्रदेश स्तर पर जॉइंट सेक्रेटरी और जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक से नीचे के अधिकारी के द्वारा जारी नहीं किया जा सकता है.
3. लुक आउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी के लिए जरूरी है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है उसकी पूरी पहचान एक पहले से तय फॉर्मेट में देना जरूरी है. साथ ही उस व्यक्ति के नाम को छोड़कर कम से कम 3 अन्य पहचान चिन्ह भी बताने होंगे.
4.  लुक आउट नोटिस जारी होने की तारीख से एक वर्ष तक वैलिड होता है. हालाँकि यदि नोटिस जारी करने वाली एजेंसी इस नोटिस का पीरियड बढ़ाना चाहती है तो वह एक वर्ष की अवधि समाप्त होने से पहले ऐसा कर सकती है. 
वर्ष 2011 से यह नियम बन गया है कि यदि एक वर्ष की निर्धारित अवधि के भीतर लुक आउट नोटिस की समय सीमा को नही बढाया गया तो संबंधित आव्रजन अधिकारी लुक आउट नोटिस को निलंबित करने के लिए अधिकृत है.
ध्यान रहे कि जिन मामलों में लुक आउट नोटिस कोर्ट और इंटरपोल द्वारा जारी किये जाते हैं उनके मामलों में लुक आउट नोटिस एक साल के भीतर ससपेंड नहीं होता है.
लुक आउट नोटिस का दुरुपयोग
कई मामलों में लुक आउट नोटिस का दुरूपयोग होते भी देखा गया है. जिस व्यक्ति के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया होता है उसको भी तभी पता चलता है जब वह हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों द्वारा रोका या गिरफ्तार किया जाता है. हालाँकि सूचना क्रांति के युग में इस तरह की बात ठीक नहीं लगती है.
कभी-कभी बिना सभी नियम कानूनों के पालन किये बिना भी लुक आउट नोटिस जारी कर दिए जाते हैं. ये मामले संदिग्ध, आतंकवादी, राष्ट्र विरोधी तत्वों से जुड़े होते हैं. ऐसे मामलों से प्रभावित व्यक्ति मानवाधिकार आयोग या उच्च न्यायालयों के पास जा सकता है और नुकसान और मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे की मांग कर सकता है. हालाँकि मुआवजा मिलने में बहुत साल लग जाते हैं साथ ही यह प्रक्रिया धीमी और महंगी भी हो सकती है.
लुक आउट नोटिस का प्रभाव:
ऐसा नहीं है कि लुक आउट नोटिस अपराधियों में खौफ पैदा कर देता है. कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि कई अपराधियों के खिलाफ भारत में लुक आउट नोटिस जारी कर दिए गए होते हैं लेकिन फिर भी ये लोग विदेशों में शान से रह रहे होते हैं और अन्य देशों की यात्रा भी कर रहे होते हैं.
अब तक कितने लोगों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किये गये हैं इस बारे में कोई पुख्ता सबूत उपलब्ध नहीं हैं.
इस प्रकार स्पष्ट है कि लुकआउट नोटिस आरोपी व्यक्तियों या अपराधियों के खिलाफ जारी किये जाते हैं.
उम्मीद है कि इस लेख को पढने के बाद आप समझ गए होंगे कि लुक आउट नोटिस क्या होता है और किन लोगों और मामलों में जारी किया जाता है.
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