व्यक्तिगत सत्याग्रह अगस्त प्रस्ताव का परिणाम था| इसका प्रारंभ जन सविनय अवज्ञा आन्दोलन के रूप में हुआ था लेकिन महात्मा गाँधी ने इसे व्यक्तिगत सत्याग्रह में बदल दिया| यह आन्दोलन केवल स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए ही नहीं था बल्कि इसमें अभिव्यक्ति के अधिकार को भी दृढ़तापूर्वक प्रस्तुत किया गया| कांग्रेस ने एक बार फिर 1940 के अंत में कमान संभालने के लिए कहा और इसने विस्तृत रणनीतिक परिदृश्य के साथ जन आन्दोलन में बदल दिया|
व्यक्तिगत सत्याग्रह के उद्देश्य
• यह प्रदर्शित करना की राष्ट्रवादियों का धैर्य उनकी कमजोरी के कारण नहीं है
• जन भावना को अभिव्यक्त करना अर्थात यह बताना कि जनता युद्ध में रूचि नहीं रखती है और वह नाजीबाद तथा दोहरी निरंकुशता, जिसके द्वारा भारत पर शासन किया जा रहा है, के बीच कोई भेद नहीं मानती है
• कांग्रेस की मांगों को शांतिपूर्ण ढ़ंग से मानने के लिए सरकार को एक और मौका प्रदान करना
इसमें सत्याग्रही की मांग युद्ध-विरोधी घोषणा के माध्यम से युद्ध का विरोध करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने की थी|यदि सत्याग्रही को सरकार द्वारा गिरफ्तार नहीं किया जाता है तो वह गांवों से होते हुए दिल्ली की ओर मार्च करेगा (“दिल्ली चलो आन्दोलन)| व्यक्तिगत सत्याग्रह का केंद्रबिंदु अहिंसा था जिसे सत्याग्रहियों के चयन द्वारा ही पाया जा सकता था|आचार्य विनोबा भावे, पंडित जवाहर लाल नेहरु और ब्रह्म दत्त क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय चयनित सत्याग्रही थे|
निष्कर्ष
अतः स्वतंत्रता को समर्पित व्यक्तिगत सत्याग्रह अगस्त प्रस्ताव का परिणाम था और यह आन्दोलन केवल स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए ही नहीं था बल्कि इसमें अभिव्यक्ति के अधिकार को भी दृढ़तापूर्वक प्रस्तुत किया गया|
Indian History , Modern History of India , Individual Satyagraha , Delhi Chalo Movement
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