टिम बर्नर्स ली (जन्म: 8 जून, 1955) विश्व व्यापी वेब के अविष्कारक, विश्व व्यापी वेब संघ के वर्तमान निर्देशक और एक शोधकर्त्ता है।
वेब तकनीक - अविष्कार
जन्म एवं शिक्षा
टिम बरनर्स् ली का जन्म 8 जून, 1955 को इंगलैंड में हुआ था। माता पिता दोनो गणितज्ञ थे। कहा जाता है कि उन्होने टिम को गणित हर जगह, यहां तक कि खाने की मेज पर भी बतायी।
टिम ने अपनी उच्च शिक्षा क्वीनस् कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से पूरी की। विश्वविद्यालय में उन्हें अपने मित्र के साथ हैकिंग करते हुऐ पकड़ लिया गया था। इसलिये उन्हें विश्वविद्यालय कंप्यूटर का प्रयोग करने से मना कर दिया गया। 1976 में, उन्होने विश्विद्यालय से भौतिक शास्त्र में डिग्री प्राप्त की।
वेब तकनीक - अविष्कार
सर्न (CERN) यूरोपियन देशों की नाभकीय प्रयोगशाला है। टिम 1984 से वहीं फेलो के रूप में काम करने लग गये। वहां हर तरह के कंप्यूटर थे जिन पर अलग अलग के फॉरमैट पर सूचना रखी जाती थी। टिम का मुख्य काम था कि वे सूचनाये एक कंप्यूटर से दूसरे पर आसानी से जा सकें। उन्हे लगा कि क्या कोई तरीका हो सकता है कि इन सब सुचनाओं को इस तरह से पिरोया जाय कि ऐसा लगे कि वे एक जगह ही हैं। बस इसी का हल सोचते सोचते, उन्होने वेब तकनीक का अविष्कार किया और दुनिया का पहला वेब पेज 6 अगस्त 1991 को सर्न में बना। निहःसन्देह यह तकनीक, 21वीं शताब्दी की सबसे लोकप्रिय संपर्क साधन है।
टिम ने इस तकनीक का आविष्कार किया जब वे सर्न में काम कर रहे थे और यह सर्न की बौद्घिक संपदा थी। 30 अप्रैल 1993 को, टिम के कहने पर सर्न ने इस तकनीक को मुक्त कर दिया। अब इसे दुनिया के लिए न केवल मुफ्त, पर मुक्त रूप से उपलब्ध है। इसके लिए किसी को, कोई भी फीस नहीं देनी पड़ती है। यह निर्णय न केवल महत्वपूर्ण था पर इंटरनेट के शुरवाती दौर के निर्णयो के अनुरूप था जो हर तकनीक को मुफ्त व मुक्त रूप से उपलब्ध कराने के लिये कटिबद्ध थे।
टिम, बाद में अमेरिका चले गये। 1994 में उन्होने, मैसाचुसेटस् इंस्टिट्युट ऑफ टेकनॉलोजी में विश्व व्यापी वेब संघ (W3C) की स्थापना की। यह वेब के मानकीकरण में कार्यरत है।
सम्मान
टिम बरनर्स् ली को, 2001 में, रॉयल सोसायटी का सदस्य बनाया गया। 2004 में नाईटहुड की उपाधि दी गयी थी। 13 जून 2007 को, ऑर्डर ऑफ मेरिट, इंगलैंड के सबसे महत्वपूर्ण सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान महारानी द्वारा कला, विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिये दिया जाता है। इसी लिये टाइम पत्रिका ने उन्हें, 20वीं शताब्दी के 100 महान वैज्ञानिकों और विचारकों में चुना है।
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